कौन थे महान चाणक्य ?
कौन थे महान चाणक्य ?
बड़े ही शर्म से लिखना पड़ रहा है बावजूद इसके आज भी काफी लोग चाणक्य के बारे में नहीं जानते और जो जानते है मैंने तो उन्हें इनका ज़िक्र करते हुए नहीं सुना जिस व्यक्ति ने इतिहास में
सबसे बड़े राजनीती ,समाज शास्त्री एवं अर्थशास्त्री की उपाधि पाई है उनके बारे में पता न होना तो शर्म का आभास करवाता ही है साथ के साथ जीवन व्यापन करने के कुछ महत्वपूर्ण तरीको
से उन लोगो को भी दूर कर देता है जो या तो इनके बारे में जानते नहीं या फिर लोगो को इनके बारे में समझने में असमर्थ है !
तो दोस्तों आज मैं आपको अपने इस लेख के माध्यम से चाणक्य के बारे में कुछ महत्व पूर्ण बातें बताने जा रहा हु आशा करता हु आप लोग समझ पाएंगे की मैं क्या समझाना चाहता हु !
चाणक्य का जन्म एवं परिवार –
इतिहास के महान राजनीतिज्ञ चाणक्य का जन्म लोगो द्वारा तीसरी या चौथी शताब्दी ईसा पूर्व मन जाता है ! उनका जन्म एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ था!
चाणक्य की माता का नाम कनेश्वरी एवं उनके पिता का नाम चणक था इसकी कारण उन्हें चाणक्य भी कहा गया ! अपने उग्र स्वाभाव के कारन उन्हें ‘कौटिल्य’ भी कहा जाता है
पर उनके माता-पिता द्वारा उन्हें ‘विष्णुगुप्त’ नाम दिया गया था ! चणक हमेशा अपने देश की चिंता में व्यस्त रहते थे !एक ओर मालवा,पारस,सिन्धु, और कुछ पर्वतीय देश मगध साम्राज्य हथियाना
चाहते थे वही उस समय यूनानी आक्रमण भी हो रहा था !
चणक ने तभी तय कर लिया था की वो अपने पुत्र चाणक्य को ऐसी शिक्षा देंगे की राज्य और राजा सभी आत्मसमर्पण को मजबूर हो जायेंगे !
तभी उन्होंने अपने मित्र अमात्य शकटार के साथ मिलकर धनानंद को उखाड़ फेखने की योजना बनाई ! उनके मित्र अमात्य शकटार द्वारपाल प्रमुख थे गुप्तचरों द्वारा महामात्य राक्षस एवं कात्यायन तक पहुच गयी ! जब उन्होंने ये बात धनानद को बताई तब
चाणक्य महज 14 साल के थे चणक के शीश को काट कर चौराहे पर लटका दिया गया चाणक्य बहुत रोये पर उस समय वो बदला लेने में असर्थ थे ! पर उन्होंने धनानद से बदला लेने की कसम खायी और उसका साम्राज्य उखाड़ फेकने के इरादे से उस
स्थान से आगे बढे ! प्रतिशोध की ज्वाला में जल रहे चाणक्य एक पंडित को जंगले में बेहोश मिले होश में आने पर वो पंडित उन्हें अपने साथ ले गए उनका नाम राधामोहन था उन्होंने चाणक्य को सहारा दिया ! राधामोहन जी
ने अपने मित्र के सहयोग से चाणक्य को तक्षिला में प्रवेश दिलवाया जहाँ 18 कलाओ के साथ साथ न्यायशास्त्र चिकित्षा शास्त्र और सामाजिक कल्याण की शिक्षा दी जाती थी ऐसी की उच्च शिक्षा प्राप्त कर चाणक्य भी चमक रहे थे
चाणक्य का अनादर –
चाणक्य एक बार जब पाटलिपुत्र आये तोह वो राजा से मिलने राजदरबार पहुचे ! वहा उन्होंने छोटे छोटे राज्यों में खंडित देश को आपस में बैर भुला कर एक जुट करने की बात राखी जिसके बदले में उन्हें अपमानित किया गया एवं
दरबार से बाहर कर दिया गया ! चाणक्य बहुत क्रोधित हुए अपने स्वभाव्नुकुल उन्होंने अपनी चोटी खोल ली एवं प्रण लिया वो तक तक अपनी चोटी में गाँठ नहीं लगायेंगे जब तक वो धनानद का संपूर्ण विनाश नहीं कर देते
धनानद को इस बात की खबर लगी उन्होंने चाणक्य को बंदी बनाने का फरमान जरी किया इसके पहले की वो लोग चाणक्य को बंदी बना पाते चाणक्य वह से निकल चुके थे सन्यासी का वेश धारण कर पाटलिपुत्र में छुप कर रहने लगे !
चाणक्य से चन्द्रगुप्त का मिलना
एक बार चाणक्य की मुलाकात एक बच्चे से हुई जो राज्य में अपने मित्रो के साथ खेल रहा था ! राजा के रूप में वो बेहतर तरीके से अपने मित्रो की समस्याए सुलझा रहा था चाणक्य ने उसके इस कौशल को पहचान लिया उसके बारे में
सारो जानकारी प्राप्त कर उसे अपने साथ तक्षिला ले गए ! वह चाणक्य ने चन्द्रगुप्त को वेदों शास्त्रों से लेकर युद्ध और राजनीती की शिक्षा दी !
लगभग 8 साल तक चाणक्य ने चन्द्रगुप्त को शिक्षित कर उसे राजा बनने योग्य बनाया !
तभी चाणक्य को ज्ञात हुआ की कोई सिकंदर नामक राजा विश्व विजय पर निकला है जिसने कई देशो पर अपना साम्राज्य स्थापित कर भारत की तरफ कदम बढाया है ! उसी दौरान गंधार का राजा आम्भी ने सिकंदर का साथ देने का निर्णय लिया एवं
अपने विरोधी राजा पुरु को तहस नहस करने की योजना बनाई ! चाणक्य ने आम्भी से काफी खुल कर बात की और उसे समझाया की विदेशी हमलावरों से देश की रक्षा करना उनका धर्म है पर आम्भी ने उनकी ना सुनी और सिकंदर का साथ देने को उतारू हुआ
जब सिकंदर गंधार आया तब आम्भी ने उसकी बहुत इज्ज़त की यहाँ तक की उसे भगवान् तक बता दिया ! चाणक्य ने सिकंदर का खुला विरोध किया !
विश्स्वविजयी बनने की चाह में सिकंदर ने चाणक्य की बात को टाल दिया ! चन्द्रगुप्त और चाणक्य ने राजा पोरस के साथ मिलकर सम्पुर्ण नन्द साम्राज्य पर जीत प्राप्त की उअके बाद नन्द साम्राज्य को दो भागो में बाँट दिया गया एक राजा पोरस जिसे पर्वतका भी कहा जाता है
और दूसरा चन्द्रगुप्त और चाणक्य के अधीन हुए ! राजा पोरस के मृत्यु के बाद उसके पुत्र मलायकेतु ने संपूर्ण पूरब नन्द साम्राज्य पर कब्ज़ा कर लिया इसी दौरान उसके मंत्री और सलाहकार राक्षसा ने मलायकेतु के साथ मिलकर चन्द्रगुप्त को मरने की कोशिश की पर
चाणक्य के आगे सब विफल हुए फिर चाणक्य ने राक्षसा और मलायकेतु के बिच अपनी नीतिओ से मतभेद पैदा की जिसकी वजह से वो अलग थलग हो गये !
एक बार चन्द्रगुप्त के लिए दिए हुए भोजन का उनकी पत्नी दुर्धरा ने खा लिए खाने के बाद ज्ञात हुआ की उसमे विष था दुर्धरा उस समय गर्भवती थी उनकी मृत्यु होने के तुरंत बाद ही चाणक्य ने रानी का पेट फाड़ कर उस बच्चे को जीवित निकल लिया जिसका नाम आगे
बिन्दुसार पडा!
चाणक्य की मृत्यु –
दोस्तों चाणक्य की मृत्यु की वजह के बारे में दो बातें लोगो द्वारा कही जाती है एक तो यह की चाणक्य खुद ही अपना मंत्री पद त्याग कर जंगल चले गये और दूर यह की बिन्दुसार के एक मंत्री सुबंधु ने चाणक्य के खिलाफ एक षड़यंत्र रचा और बिन्दुसार को बताया की चाणक्य
उनकी माँ के हत्यारे है सुबंधु द्वारा पूछ ताछ के दौरान उनकी हत्या का षड़यंत्र रचा गया !
चाणक्य के बारे में जानकारी कैसी लगी मुझे ई मेल के माध्यम से जरूर बताये !
धन्यवाद
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